लिटरिंग यानी सार्वजनिक स्थानों पर कचरा फैलाना एक वैश्विक समस्या है। यह न सिर्फ हमारे आस-पास की सुंदरता को खराब करता है, बल्कि पर्यावरण, जीव-जंतुओं, स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचाता है।
लिटरिंग क्या है?
जब लोग अपने कचरे को कूड़ेदान की बजाय सड़क, पार्क या नदियों में फेंक देते हैं, तो उसे लिटरिंग कहते हैं। इसमें छोटे-छोटे जैसे सिगरेट के टुकड़े, खाने के पैकेट से लेकर बड़े कूड़े तक शामिल हैं।
लोग लिटरिंग क्यों करते हैं?
- जागरूकता की कमी — नुकसान के प्रति जानकारी न होना।
- कूड़ेदान की कमी या वह जगह खाली न होना।
- सामाजिक व्यवहार — जहां गंदगी होती है, वहां लोग भी कूड़ा फेंकते हैं।
- आलस्य या लापरवाही।
- कानून का प्रभावी पालन न होना।
लिटरिंग के प्रभाव
- पर्यावरण को नुकसान: जानवर कचरे को खाना समझ कर खाते हैं, जिससे उनकी मौत हो सकती है।
- जल स्रोतों का प्रदूषण: सड़क का कूड़ा नालियों से होकर नदियों और समुद्रों में चला जाता है।
- स्वास्थ्य जोखिम: कीड़े-मकौड़े बढ़ते हैं, बीमारियाँ फैलती हैं।
- आर्थिक नुकसान: सफाई पर सरकार को ज्यादा खर्च करना पड़ता है।
- दिखावट खराब होना: जगहें गंदी और अस्वच्छ लगती हैं।
लिटरिंग रोकने के उपाय
- जागरूकता फैलाएं और खुद कूड़ा सही जगह डालें।
- सार्वजनिक स्थानों पर पर्याप्त कूड़ेदान लगवाएं।
- समुदाय के स्वच्छता अभियानों में हिस्सा लें।
- कानून का पालन कराएं और जुर्माने लगवाएं।
- कचरे को कम करें, पुनः उपयोग और रिसाइक्लिंग अपनाएं।
हम क्या कर सकते हैं?
- अपने कचरे को सही जगह डालें।
- प्लास्टिक का उपयोग कम करें।
- सफाई अभियानों में शामिल हों।
- दूसरों को भी जागरूक करें।
निष्कर्ष
पॉलीस्टायरीन रिसाइक्लिंग और लिटरिंग दोनों ही आज हमारे पर्यावरण के लिए बड़ी चुनौतियां हैं। इनके प्रभाव को समझना और जागरूकता के साथ सही कदम उठाना हर नागरिक का कर्तव्य है। हम सब मिलकर अपने आस-पास को साफ-सुथरा, स्वस्थ और सुंदर बना सकते हैं।
छोटे-छोटे प्रयास ही बड़े बदलाव लाते हैं। आइए, हम सब मिलकर पर्यावरण की सुरक्षा करें!
स्वच्छ भारत अभियान
“स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत”
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में यह अभियान हमारे देश को स्वच्छ और हरा-भरा बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। आइए, हम सब मिलकर इस अभियान को सफल बनाएं और पर्यावरण की सुरक्षा करें।
